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शुक्रवार, 22 अक्टूबर 2010
मै उड़ना चाहती हूँ
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रविवार, 17 अक्टूबर 2010
कुछ कमी सी है
सब खामोश हैदिल की धड़कन, सांसो की सरगम….बस तन्हाई हैन कोई हमसाया, न हमदम….कुछ कमी सी हैहोंठो पे हंसी और है ऑंखें नम….आसमान सूना हैचाँद भी छुप गया, और तारे है कम…..ढूढती है नज़रेतुझ को या खुद को हर जनम…मेरे दामन में हैकुछ हंसी यादें और कुछ गम……..रौशनी मद्धम सी हैबुझ गया सूरज, आ भी जाओ कहा खो गए हो तुम
शुक्रवार, 8 अक्टूबर 2010
उदास शाम
जाने कैसे सुबह से शाम हो गई,
ये जिन्दगी बस यु ही तमाम हो गई ………
ये जिन्दगी बस यु ही तमाम हो गई ………
करते रहे हम कोशिशे मंजिल को पाने की ,
हर कोशिश लेकिन आज तो नाकाम हो गई …..
हर कोशिश लेकिन आज तो नाकाम हो गई …..
मन के किसी कोने में छुपाया था आपको ,
फिर उल्त्फत मेरी कैसे बदनाम हो गई ……….
फिर उल्त्फत मेरी कैसे बदनाम हो गई ……….
जिस खुशी के लिए उठाया था हर एक ग़म ,
वो खुशी आज मुझसे अनजान हो गयी ……..
वो खुशी आज मुझसे अनजान हो गयी ……..
ये जिन्दगी बस यु ही तमाम हो गयी ………
मेरा वजूद हस्ती मेरी बेनाम हो गयी ……..
जाने कैसे सुबह से शाम हो गयी
मेरा वजूद हस्ती मेरी बेनाम हो गयी ……..
जाने कैसे सुबह से शाम हो गयी
गुरुवार, 7 अक्टूबर 2010
मेरा खुदा-मेरा दीवाना
बुझ गये चिराग
अब खुद को जलाना होगा,
पा ही लेगे उस खुदा को, पहले खुद को मिटाना होगा……
अब खुद को जलाना होगा,
पा ही लेगे उस खुदा को, पहले खुद को मिटाना होगा……
मै उसको क्या कहू जो मुझसे खफा हो गया है,
गलती उसकी ही थी पर मुझको मनाना होगा……….
गलती उसकी ही थी पर मुझको मनाना होगा……….
मेरा खुदा भी मेरे महबूब जैसा संगदिल है,
हाथों में खंजर है और मेरा दिल ही निशाना होगा ……….
हाथों में खंजर है और मेरा दिल ही निशाना होगा ……….
उसने भी कह दिया की वो मजबूर है बहुत,
उसकी बेवफाई को अब ज़माने से छुपाना होगा…………
उसकी बेवफाई को अब ज़माने से छुपाना होगा…………
मुझको रुलाने के वो क्या क्या बहाने ढूढता है
मेरा खुदा भी मेरा ही दीवाना होगा…….
मेरा खुदा भी मेरा ही दीवाना होगा…….
नहीं है इंतज़ार दिले बेताब को किसी का अब
“रौशनी” ये कारवां जहाँ से तनहा ही रवाना होगा………
“रौशनी” ये कारवां जहाँ से तनहा ही रवाना होगा………
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