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शनिवार, 1 जनवरी 2011

लिबास

अचानक से कभी तू सामने आ और दिल को धड़का दे,
मेरी गमगीन आँखों को ख़ुशी के अश्कों से नहला दे….
मेरे कहने से तू आत्ता है मुलाकात के लिए,
कभी खुद मुझसे मिलने आ के, तू मुझको चौका दे …..
तेरी ऑंखें बयाँ करती है राज कई गहरे,
लबो को खोल और राज को लफ़्ज़ों के लिबास पहना दे …..
तू परेशान जो हो तो मेरे दो जहान बेचैन रहते है,
रूह सकून पाती है जो तू खुल के मुस्कुरा दे…..
कभी जुगनू कभी तारा कभी तू चाँद बन जाता है,
किसी सवेरे तू सूरज की पहली किरण बन के मुझको  जगा दे…….

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपको और आपके परिवार को नववर्ष की शुभकामनायें .....।

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  2. इस रचना में एक छुपा हुआ सन्देश है ..जो आपने उजागर कर दिया है ........ शुक्रिया

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