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मंगलवार, 18 जनवरी 2011

अक्सर वो पूछता है

अक्सर वो पूछता है,
उससे मुझे प्यार है कितना???
मै कहती हूँ तुझको ऐतबार है जितना !
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वो पूछता है,
साथ निभाओगी कितनी दूर,
मै कहती हूँ जब तक खुदा को दिल में मेरे धड़कन है मंजूर !
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फिर कभी कहता है,
क्या मै हूँ तेरे काबिल,
मै कहती हूँ मेरी हर इबादत का तू ही है हांसिल !
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फिर कहता है,
की मुझसे कभी रुठोगी तो नहीं
मै कहती हूँ रूठी तो फिर मानूँगी ना कभी
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वो कहता है,
के मना लूँगा मैं हँसकर इक पल मै,
मै कहती हूँ तू ऐसा ही रहना मेरे आज और कल मैं !
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फिर उदास होकर कहता है,
कभी दूर जाओगी तो नहीं,
मै कहती हूँ मर भी गयी तो रहूँगी यादों में तेरी !
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वह अक्सर यों सवाल करके रोता है और रुला देता है बार बार
सच ही है दीवाना बना देता है ये प्यार
अक्सर वो पूछता है …..अक्सर वो पूछता है….

1 टिप्पणी:

  1. रौशनी!
    प्यार सच्ची और ईमानदार भावना है ...
    और वाही ईमानदारी आपकी कलम और इस रचना में है ....
    बधाई

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